छत्तीसगढ़ की ‘मितानिन” बनीं देश में ‘आशा”, दुनिया में बढ़ाया मान, ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड से हुई सम्मानित
स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने में योगदान देने वालीं जिन 10 लाख से अधिक आशा कार्यकर्ताओं को ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया।
रायपुर। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने देश की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने में अपना योगदान देने वालीं जिन 10 लाख से अधिक आशा कार्यकर्ताओं को बीते रविवार को स्टिजरलैंड के जिनेवा शहर में ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड से सम्मानित किया है, उनका पहला प्रयोग देश में छत्तीसगढ़ में हुआ था। राज्य गठन के दो साल बाद 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने आशा कार्यक्रम को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शामिल करते हुए प्रदेश के आठ ब्लाक में मितानिन (मित्रता) के नाम से एक कार्यक्रम एनजीओ के सहयोग से शुरू किया था। इसकी सफलता को देखते हुए बाद में इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया। यही कार्यक्रम पूरे देश में लागू किया गया।
मितानिन अभियान की शुरुआत करने वाले तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव डा. आलोक शुक्ला ने बताया कि राज्य गठन के बाद स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति कमजोर थी। डाक्टर, कंपाउंडर और नर्स की कमी थी। कम समय में स्वास्थ्य सुविधा को मजबूत करने के लिए समुदाय में स्वास्थ्य को लेकर काम करने वाले संगठनों की कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें देशभर के विशेषज्ञों को भी आमंत्रित किया गया था। 18 महीने की ट्रेनिंग के बाद मितानिन को गांव‑गांव में तैनात किया गया। आदिवासी बहुल क्षेत्र नारायणपुर के ओरछा, पत्थलगांव और दल्लीराजहरा में मितानिन का प्रयोग शुरू हुआ।
नारायणपुर में विवेकानंद आश्रम, पत्थलगांव में ईसाई मिशनरियों और दल्लीराजहरा में श्रमिकों के अस्पताल का सहयोग लिया गया। दो महीने बाद ही पूरे प्रदेश से इस कार्यक्रम की मांग शुरू हो गई। देखते ही देखते इसकी चर्चा पूरे देश में होने लगी। यह चर्चा जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तक पहुंची तो तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव खुद अभियान का अध्ययन करने रायपुर पहुंचे। बाद में इसे एक्रीडेटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट (आशा) के नाम से पूरे देश में लागू किया गया।
प्रदेश में 71 हजार से ज्यादा मितानिन कर रहीं काम
प्रदेश में मितानिन कार्यक्रम को समय के साथ अपग्रेड किया जा रहा है। प्रदेश में 71 हजार 506 मितानिनों की प्रोत्साहन राशि का भुगतान अब हर माह आनलाइन होता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की डायरेक्टर डा. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि मितानिन टीकाकरण अभियान से लेकर समुदाय के स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने का काम करती हैं। इसके लिए सरकार की तरफ से मितानिनों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है। रिपोर्टिंग और सत्यापन जटिल प्रक्रिया को दूर करते हुए आनलाइन भुगतान वर्ष 2020 में शुरू किया गया। अभनपुर में पायलट प्रोजेक्ट के सफल होने के बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया गया। अब हर महीने 15 तारीख को मितानिन के खाते में सीधे प्रोत्साहन राशि पहुंचती है।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, पूरे प्रदेश और देश के लिए यह गर्व की बात है कि छत्तीसगढ़ से शुरू हुआ यह सफर विश्व पटल पर अपना परचम लहरा रहा है। प्रदेश में मितानिन आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं की रीढ़ के रूप में काम कर रही हैं। प्रदेश में सरकारें बदलती रहीं, लेकिन सभी ने मितानिन कार्यक्रम को मजबूत करने का काम किया।